वीरगंज । अजमत अलि ।जादा तर नेपाली लोगके आस्था आ धृड़बिश्वाश ईश्वर के अस्तित्वपर बा। जेमे केहू एकेश्वरबाद बा (यानी एक ईश्वर माने वाला, या निराकार ईश्वर के मानेवाला ),आ केहू बहुईश्वरबाद बा। बाकिर एहीमे एगो और समुदायबा जवन खुद के नास्तिक(Atheist मुलजीत )कहल-कहावल पसंद करेला। यानी उलोग ईश्वर,परमात्मा-आत्मा,जादू-टोना वाला बात के अस्वीकार करेला लोग।वइसे एकरोके एगो सम्प्रदाय क़ह सकल जाता।यानी “नास्तिकसम्प्रदाय”।
असलमे वास्तविक नास्तिकलोग आस्तिकता से असहमत त रहेलालोग,बाकिर बिरोधी ना होलालोग। घृणा ना करेला लोग। उ लोग संप्रदायिक झमेला मे ना पड के आपन ऊर्जा कुछ नया खोज या आविष्कार मे लगावे के चाहेला लोग। ई लोगसे देशके कौनो खतरा नईखे।खैर चलीं धर्म निरपेक्ष देश मे नास्तिकता भि स्वीकार्य बा ।काहे की वास्तविक नास्तिकलोगके ओरसे दुनिया के लिए बहुत बड़ा योगदानबा। बाकिर गड़बड़ कबहोता,जब एगो नकली नास्तिक आपन क्रिया-कलाप से देशके भाईचारा बिगाड़रहल बा ।उ नास्तिक शब्दके एगो हतियारके रूपमे गलत तरीकासे इस्तेमाल करता।
अक्सर ई तथाकथित नास्तिक ई बुझता की-“हम नास्तिक हई त हमकौनो भि सम्प्रदायके उच-नीच कुछ भि बोलसकतानी”।,ई लोग इ सोचता कि -“नास्तिक शब्द केहूके भि कुछभी बोलेके लाइसेंस ह”। जबकि ओकरा मालुम होखेके चाही की ई देशमे सबके आपन बिचार रखेके स्वतंत्रता त बा! बाकिर दोसरसम्प्रदाय के अपमान करेके कौनो हक नईखे। बल्कि उल्टे केहूके आहत करे, या संप्रदायिक भेद-भाव फैलावेके जुर्ममे सजायके भि ब्यवस्था बा। कुछ लोग त एगो बिशेष सम्प्रदायके टारगेट करे खतीरा ही खुदके नास्तिक बतावतबा , जब की ओकर निजी जिंदगी देखल जाए त, पता चलेलाकी उ भि बिशेष सम्प्रदाय से ही जुड़ल बा। आ पर-पबनी,कर्म-काण्ड,ईश्वरबादी हिसाब से ही कर रहलबा ।
बस उ नास्तिक “शब्द”के केवल सुरक्षाकवचके तरह इस्तेमाल कर रहलबा। और हैरानीके बात ई बा की-ओकर समर्थक या मौन समर्थक भि उहे लोगबा जे खुदके ईश्वर बाद कहेला। आस्तिक लोग ई भ्रममे रहेला की -“चल! कौन जे हमर संप्रदायके बारेमे बोलता,।ई त उहे सम्प्रदायके बारेमे बोलता जेकर हमहु बिरोधीए हई,। “बाकीर उ लोगके ई समझमे नईखे आवत कि,..ई नकली नास्तिक जेतना दोसर सम्प्रदायके लिए हानिकारक बा, ओतने हमरो सम्प्रदायके लिए बा ।
याद रहे अइसन लोग केहूके ना होला। अनेकौ जात-बर्ण के फुलवारी वाला ई प्यारा देशमे अइसन अराजकता फैलावे वाला लोग के हतोत्साहित करल अति आवश्यकबा। ई नकली नास्तिक लोगके सिर्फ नाम-थर, अप्पन नाम-थरसे मेल खइलाके कारण से ही ओकर समर्थन करल आ प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूपसे बढ़ावा देहल ,खुदके लिए भि,आ पूरा देशकेलिए भि घातक बा । एसे अइसन नकली नास्तिक लोगके पहिचान करके निष्क्रिय करल,आ निरुत्साहित करल. हर देशबासी के परम् दायित्व बा।